फर्रुखाबाद में पिछले 40 दिनों से बाढ़ का सितम जारी है अब बाढ़ के पानी ने 116 गांव को अपनी चपेट में ले लिया है। वही बाढ़ का पानी 12 साल से प्यासी बूढ़ी गंगा की प्यास बुझाने गंगा उनसे मिलने पहुंच गई। वही अर्जुनपुर के पास कड़हर मार्ग कटने से 60 से अधिक गांवों का आवागमन शुरू करने के लिए प्रशासन एक अदद नाव तक मुहैया नहीं कर सका है। जमापुर में नाव की व्यवस्था न होने से पांच गांवों के लोग जान जोखिम में डालकर तेज बहाव से होकर निकल रहे हैं। बाढ़ के बीच त्रासदी से आहत आसपास के गांव के किसानों के चेहरे खिल उठे। अस्तित्व खोती जा रही बूढ़ी गंगा को संजीवनी मिलने से किसानों को भी आस जगी है कि उन्हें भी आने वाले समय में इससे खेती में लाभ मिलेगा।
फर्रुखाबाद के राजेपुर से कड़हर मार्ग पर जिस स्थान पर सड़क कटी है। वह गांव अर्जुनपुर हरदोई जिले में आता है। यहां दूसरे दिन भी नाव की व्यवस्था नहीं की गई है। क्षेत्र के 60 से अधिक गांवों के हजारों लोग कैद होकर रह गए हैं। 60 से अधिक गांवों का आवागमन शुरू करने के लिए प्रशासन एक अदद नाव तक मुहैया नहीं कर सका है। जमापुर में नाव की व्यवस्था न होने से पांच गांवों के लोग जान जोखिम में डालकर तेज बहाव से होकर निकल रहे हैं। बदायूं मार्ग जमापुर डिप पर डेढ़ से दो फीट पानी है, इससे अंबरपुर, गौटिया, कंचनपुर सबलपुर, जगतपुर, रामपुर उदयपुर आदि गांवों के लोगों को परेशानी है।
वही कंपिल के रामेश्वर नाथ मंदिर से करीब 1 किमी दूर इकलहरा मार्ग पर एक समय में बूढ़ी गंगा में भी पानी का बहाव रहता था। वर्षो पहले बूढ़ी गंगा में पानी आना ही बंद हो गया। वर्ष 2010 में बाढ़ त्रासदी के दौरान रामेश्वरनाथ मंदिर तक पानी आ गया था। कुछ समय बूढ़ी गंगा में पानी चलता रहा। धीरे-धीरे बूढ़ी गंगा सूखती चली गई। जानकारों के मुताबिक यह 13 साल से यह सूखी पड़ी है। गंगा नदी बूढ़ी गंगा से दूर क्या हुई किसानों ने इसे अपने खेतों में मिला लिया। तो कहीं रास्ता बना लिया।गंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण तेज हुई धार ने हिलोरे लिए तो बूढ़ी गंगा को संजीवनी मिल गई।
वह भी उफनाकर बहने लगी। गंगा के उफान से बूढ़ी गंगा के आसपास के गांव पथरामई, मधवापुर, गढ़ी, दूदेमई, बौरा, बिहारीपुर, गंगपुर, शेखपुर, शाहपुर, इकलहरा आदि के आसपास भी पानी भर गया। लोगों का मानना है कि गंगा के जलस्तर ने और फैलाव लिया, तो उम्मीद है कि बूढ़ी गंगा को जीवन दान मिल जाए। ग्रामीणों को गंगा से आई बाढ़ के कारण परेशानी है, वहीं गंगा का मिलन बूढ़ी गंगा से होने से चेहरे पर हल्की मुस्कान भी है।