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वरिष्ठ साहित्यकार डा.ब्रम्हदत्त अवस्थी का सोमवार सुबह निधन

ढह गया राष्ट्रीय विचारधारा का एक और स्तम्भ, नहीं रहे डा.ब्रम्हदत्त अवस्थी

फर्रुखाबाद। राष्ट्रवादी विचारधारा के प्रखर प्रवक्ता विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष हिन्दुत्व कुछ पताका लहराने वाले और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े वरिष्ठ साहित्यकार डा.ब्रम्हदत्त अवस्थी का सोमवार सुबह 10.30 पर लखनऊ के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया । जनपद के अमृतपुर के ग्राम नगला हूसा के मूल निवासी 91 वर्षीय स्वर्गीय डा. ब्रह्मदत्त अवस्थी विभिन्य पदों पर रहे| 22 सितंबर,1935 को उनका जन्म हुआ था| अवस्थी जी ने अपने जीवनकाल में विभित्र आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई और समाज को अपने साहित्य और विचारों से निरंतर प्रेरित किया।

उनके निधन से न केवल साहित्यिक जगत बल्कि राष्ट्रवादी आंदोलन से जुड़े सभी लोगों में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके पुत्र वरिष्ठ भाजपा नेता प्रभात अवस्थी ने जानकारी दी।श्री ब्रह्मदत्त अवस्थी संघ से दशकों से जुड़े हुए थे। उन्होंने संघ के कई महत्वपूर्ण आंदोलनों में अग्रणी भूमिका निभाई, जिसमें अयोध्या आंन्दोलन प्रमुख रहा। राम जन्मभूमि मुक्ति के लिए किए गए संघर्षों में उनकी भागीदारी महत्वपूर्ण रही। वे सदैव राम के आदर्शों को अपने जीवन में उतारने वाले व्यक्ति के रूप में पहचाने जाते रहे।

डा.अवस्थी ने हिंदी साहित्य में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने राष्ट्रवादी और सामाजिक मुद्दों पर कई पुस्तकें लिगीं, जिनमें उनकी प्रसिद्ध पुस्तकें ‘राम राज्य का संकल्प’ और संघ का संघर्ष’ आज भी संघ के प्रेरित करने का कार्य किया। उन्होंने अपनी अंतिम सांस तक रक्ष निर्माण के कार्य में खुद को समर्पित रखा।कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। उनकी लेखनी में सदैव देशप्रेम, धर्मनिष्ठ, और स्वमाजिक चेतना की झलक देखने को मिलती थी। स्वहित्य जगत में उन्हें एक मनीषी के रूप में जाना जाता था।

अवस्थी जी न केवल साहित्यकार थे, बल्कि ये एक समाजसेवी भी थे। वे कई वर्षों तक संघ की विभिन्न शाखाओं में कार्यरत रहे और समाज में युवाओं कोउनके आकस्मिक निधन की सूचना मिलते ही संघ परिवार, साहित्य जगत और उनके अनुयायियों में गहरा शोक फैल गया है।

उनके निधन को देश के लिए अपूरणीय क्षति माना जा रहा है। संघ के वरिष्ठ नेताओं ने उनके निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की है। उनके करीबी मित्रों ने कहा, अवस्थी जी सदैव एक सच्चे राम भक्त और देशभक्ता के रूप में जाने जाते रहेंगे। उनका जाना हमारे लिए व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों स्तरों पर बड़ा नुकसान है। उनका अंतिम संस्कार पांचाल घाट स्थित भागीरथी के तट पर किया जाएगा

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